उत्तरप्रदेश/गोडवाड ज्योती: आसमां में भी सुराख हो सकता है, एक पत्थर तो जोर से उछालो यारों... इसी बात को चरितार्थ कर दिखाया है, जैन समाज के बाईस वर्षीय युवा साहिल एम जैन ने| साहिल के सिर से मां का साया तब उठ गया था, जब वह सातवीं में था। इसके बाद मां की इच्छानुसार साहिल ने सेना में जाने के लिए अथक मेहनत की, जिसके फलस्वरूप जेट फायटर प्लेन के पायलट पद पर चयन हो गया। मिली जानकारी अनुसार ‘साहिल’ जैन समाज का इकलौता युवा है, जो यह मुकाम हासिल कर पाया है। पिता डॉ. एमएल जैन के सुपुत्र साहिल का भारतीय वायुसेना में प्लाइंग ऑफिसर के बाद जेट फायटर पायलट के लिए चयन हुआ है। मूलतः उत्तरप्रदेश के ललीतपुर के मूल निवासी डॉ. जैन दिगम्बर संप्रदाय से है। शिक्षा विभाग इंदौर के अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक नरेंद्र जैन के भतीजे साहिल रीवा के सैनिक स्कूल में पढ़ने के बाद साहिल ने खड़गवासला पुणे में एनडीए से स्नातक किया। इसके बाद हैदराबाद एयरफोर्स अकादमी से उच्च स्तरीय ट्रेनिंग पाई। इसके बाद फायर फायटर के पायलट पद पर चयनित हुए हैं। साहिल ने बताया कि मम्मी कविता जैन मुझे ऊंचाई भरे मुकाम पर देखना चाहती थी लेकिन वे तब विदा हो गईं, जब मैं सातवीं में पढ़ाई कर रहा था। तभी से मैंने प्रण लिया था कि मां भले ही पास न हों लेकिन वह जहां भी होंगी मुझे ऊंचाइयों पर देखकर जरूर खुश होंगी। जब मेरा चयन जेट फायटर पायलट के लिए हुआ तो लगा कि मैं जब हवा को चीरते हुए डेढ़ से दो हजार किमी की गति से उड़ने वाले विमानों को उड़ाऊंगा तो मां जरूर आसमां से मुझे धरती व आसमां के बीच उड़ते हुए देखेंगी। वे जरूर खुश होंगी। मेरी यह उपलब्धि मां को समर्पित है। साहिल ने युवाओं के नाम संदेश में कहा कि अपने उद्देश्यों को लेकर युवा आगे बढ़ें, सफलता जरूर पाएंगे। सुविधा मिलना या न मिलना अलग बात है लेकिन उद्देश्य प्राप्ति के लिए मेहनत एवं जज्बे के साथ काम करना चाहिए| साहिल ने बताया कि देश की सुरक्षा ही मेरे लिए सर्वोपरि होगी।

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