वाशी/गोडवाड ज्योती: वाशी संघ के नेतृत्व व महासती साध्वी वैभवश्री आत्मा के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर उनके ही निर्देशन में गुजरात भवन में साधिका दीक्षा समारोह का भव्य आयोजन हुआ, जहाँ डॉ. प्रतिभा कोचर संघ को दूसरी साधिका के रूप में दीक्षा ग्रहण किया। इस अवसर पर भारी संख्या में श्रावक समाज की उपस्थिति रही। दीक्षा समारोह के दौरान मेवाड़ संघ वाशी का मोबाइल एप भी लांच किया गया। इस एप में समाज के सभी परिवारों की जानकारी के साथ-साथ उनके व्यापार की भी जानकारी संयोजित की गई है। साथ ही संघ का कैलेंडर भी लांच किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीश्री के मुखरबिंदु से उच्चारित नवकार महामंत्र एवं मंगलाचरण की सुंदर गीतिका के साथ हुआ।
वाशी मेवाड़ संघ संरक्षक भंवरलाल बोहरा ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन करते हुए अपने विचारों को लोगों के सामने रखा। गौरतलब है कि साधिका श्रेणी के पीछे का मुख्य मकसद की बात करे तो वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भगवान महावीर द्वारा प्रदत्त शाश्वत सत्य एवं व्रतों की समीचीन आराधना के साथ-साथ धर्म की प्रभावना भी देश-विदेश में युगानुरूप हो सके, इसके लिए मध्यमवर्गी दीक्षा विधि की शुरूआत श्रमण संघ में की गई। इस दीक्षा को ग्रहण करने वाली साधिका दूसरा, तीसरा एवं चौथा तीन महाव्रत पूरा एवं प्रथम व अंतिम महाव्रत कुछ आगार सहित रहेंगे तथा गुरु प्रदत समाचारी की पालना भी रहेगी। मेवाड़ संघ वाशी के अध्यक्ष नरेंद्र बोहरा और मंत्री राकेश चोरडिया ने कहा कि साधक-साधिका गृहस्थ जीवन के संपूर्ण त्यागी तो होंगे किंतु पूर्ण साधु जीवन की तरह ना होकर साधु एवं गृहस्थ के मध्य की कड़ी के रूप होंगे। वे गोचरी, विहार व लोच की बाध्यता से तो मुक्त रहेंगे किंतु स्वाध्याय, ध्यान व धर्म प्रभावना से सदा युक्त रहेंगे।
साधिका डॉ. प्रतिभा कोचर अब साधिका प्राग्भा विराट के नाम से जानी जाएँगी। जोधपुर निवासी डॉ. प्रतिभाजी ज्ञानदाता पूज्यश्री विराट गुरूजी एवं आशीर्वादप्रदाता गुरु श्रमणसंघीय आचार्य ध्यानयोगी डॉ. शिवमुनिजी म.सा., श्रमणसंघीय महामंत्री श्री सौभाग्यमुनिजी म.सा. व श्रमणसंघीय सलाहकार राजर्षि श्री सुमतिप्रकाशजी महाराज की कृपा से ४१ वर्ष की उम्र में दीक्षा लेने का फैसला लिया। इन्होंने B.sc., M.A. (पत्रकारिता एवं) जनसंचार, M.A.(हिंदी), Ph.D. तक की शिक्षा ग्रहण की हैं।
वाशी मेवाड़ संघ संरक्षक भंवरलाल बोहरा ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन करते हुए अपने विचारों को लोगों के सामने रखा। गौरतलब है कि साधिका श्रेणी के पीछे का मुख्य मकसद की बात करे तो वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भगवान महावीर द्वारा प्रदत्त शाश्वत सत्य एवं व्रतों की समीचीन आराधना के साथ-साथ धर्म की प्रभावना भी देश-विदेश में युगानुरूप हो सके, इसके लिए मध्यमवर्गी दीक्षा विधि की शुरूआत श्रमण संघ में की गई। इस दीक्षा को ग्रहण करने वाली साधिका दूसरा, तीसरा एवं चौथा तीन महाव्रत पूरा एवं प्रथम व अंतिम महाव्रत कुछ आगार सहित रहेंगे तथा गुरु प्रदत समाचारी की पालना भी रहेगी। मेवाड़ संघ वाशी के अध्यक्ष नरेंद्र बोहरा और मंत्री राकेश चोरडिया ने कहा कि साधक-साधिका गृहस्थ जीवन के संपूर्ण त्यागी तो होंगे किंतु पूर्ण साधु जीवन की तरह ना होकर साधु एवं गृहस्थ के मध्य की कड़ी के रूप होंगे। वे गोचरी, विहार व लोच की बाध्यता से तो मुक्त रहेंगे किंतु स्वाध्याय, ध्यान व धर्म प्रभावना से सदा युक्त रहेंगे।
साधिका डॉ. प्रतिभा कोचर अब साधिका प्राग्भा विराट के नाम से जानी जाएँगी। जोधपुर निवासी डॉ. प्रतिभाजी ज्ञानदाता पूज्यश्री विराट गुरूजी एवं आशीर्वादप्रदाता गुरु श्रमणसंघीय आचार्य ध्यानयोगी डॉ. शिवमुनिजी म.सा., श्रमणसंघीय महामंत्री श्री सौभाग्यमुनिजी म.सा. व श्रमणसंघीय सलाहकार राजर्षि श्री सुमतिप्रकाशजी महाराज की कृपा से ४१ वर्ष की उम्र में दीक्षा लेने का फैसला लिया। इन्होंने B.sc., M.A. (पत्रकारिता एवं) जनसंचार, M.A.(हिंदी), Ph.D. तक की शिक्षा ग्रहण की हैं।

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