हैदराबाद/गोडवाड ज्योती: सेंट फ्रांसिस गल्र्स हाई स्कुल की आठवीं कक्षा में पढने वाली पिता लक्ष्मीचंद व माता मनीषा की सुपुत्री आराधना जैन का ६८ दिन के उपवास एवं पारणा के बाद दिल का दौरा पड़ने से असामयिक दुखद निधन हो गया। बाल तपस्वी आराधना जैन धर्म की परंपरा के अनुसार मात्र गर्म पानी लेकर व्रत पर थी। ज्ञात हो कि धार्मिक संस्कारों में पली-बढ़ी धर्मानुरागी आराधना ने पर्युषण महापर्व में गुरु-भगवंतों की प्रेरणा से तपस्या आरम्भ की थी। इससे पूर्व भी आराधना ने २०१४ में ८ उपवास, २०१५ में ३४ दिवसीय आदि अनेकों बड़े तप किये हैं। साथ ही पंच प्रतिकमण सहित कई धार्मिक सूत्र आदि कंठस्थ थे। इस बार भी तपस्या करने के बढ़ते भाव रखते हुए आराधना ने ६८ तीर्थ सम ६८ अक्षरों का ६८ दिवसीय उग्र उपवास पश्चात पारणा (उपवास छोड़ा) किया। लेकिन २ दिनों पश्चात अस्वस्थता महसूस होने पर आराधना को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से उसका निधन हो गया। बाल तपस्वी आराधना के अंतिम शोभा यात्रा में ६०० लोग उपस्थित थे। आराधना का परिवार सिकंदराबाद के पोट बाज़ार इलाके में गहनों का व्यवसाय करता है। परिवार का कहना है कि व्रत खोलने के दो दिन बाद आराधना बेहोश हो गई और उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से उसका निधन हो गया।हालाँकि आराधना के निधन पर कई लोग और बाल संगठन सवाल भी उठा रहे हैं। उनके अनुसार इस मामले की पुलिस में शिकायत दर्ज की जानी चाहिए और बाल अधिकार आयोग को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। एक बाल अधिकार एनजीओ की जांच की मांग के बाद पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। एनजीओ का कहना है कि अंधविश्वास के चलते १३ साल की बच्ची आराधना जैन के परिवार ने ही उसे मौत के मुंह में धकेल दिया। वहीं, स्थानीय एनजीओ बलाला हक्कुला संगम के अच्युत राव ने हैदराबाद पुलिस कमिश्नर से मांग की है कि लड़की के माता-पिता लक्ष्मीचंद और मनीषा को गिरफ्तार किया जाए।
Tuesday, 18 October 2016
६८ उपवास की तपस्वी आराधना की साधना के साथ टूटी सांसो की डोर
हैदराबाद/गोडवाड ज्योती: सेंट फ्रांसिस गल्र्स हाई स्कुल की आठवीं कक्षा में पढने वाली पिता लक्ष्मीचंद व माता मनीषा की सुपुत्री आराधना जैन का ६८ दिन के उपवास एवं पारणा के बाद दिल का दौरा पड़ने से असामयिक दुखद निधन हो गया। बाल तपस्वी आराधना जैन धर्म की परंपरा के अनुसार मात्र गर्म पानी लेकर व्रत पर थी। ज्ञात हो कि धार्मिक संस्कारों में पली-बढ़ी धर्मानुरागी आराधना ने पर्युषण महापर्व में गुरु-भगवंतों की प्रेरणा से तपस्या आरम्भ की थी। इससे पूर्व भी आराधना ने २०१४ में ८ उपवास, २०१५ में ३४ दिवसीय आदि अनेकों बड़े तप किये हैं। साथ ही पंच प्रतिकमण सहित कई धार्मिक सूत्र आदि कंठस्थ थे। इस बार भी तपस्या करने के बढ़ते भाव रखते हुए आराधना ने ६८ तीर्थ सम ६८ अक्षरों का ६८ दिवसीय उग्र उपवास पश्चात पारणा (उपवास छोड़ा) किया। लेकिन २ दिनों पश्चात अस्वस्थता महसूस होने पर आराधना को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से उसका निधन हो गया। बाल तपस्वी आराधना के अंतिम शोभा यात्रा में ६०० लोग उपस्थित थे। आराधना का परिवार सिकंदराबाद के पोट बाज़ार इलाके में गहनों का व्यवसाय करता है। परिवार का कहना है कि व्रत खोलने के दो दिन बाद आराधना बेहोश हो गई और उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से उसका निधन हो गया।हालाँकि आराधना के निधन पर कई लोग और बाल संगठन सवाल भी उठा रहे हैं। उनके अनुसार इस मामले की पुलिस में शिकायत दर्ज की जानी चाहिए और बाल अधिकार आयोग को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। एक बाल अधिकार एनजीओ की जांच की मांग के बाद पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। एनजीओ का कहना है कि अंधविश्वास के चलते १३ साल की बच्ची आराधना जैन के परिवार ने ही उसे मौत के मुंह में धकेल दिया। वहीं, स्थानीय एनजीओ बलाला हक्कुला संगम के अच्युत राव ने हैदराबाद पुलिस कमिश्नर से मांग की है कि लड़की के माता-पिता लक्ष्मीचंद और मनीषा को गिरफ्तार किया जाए।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)


No comments:
Post a Comment