Tuesday, 18 October 2016

कोलंबिया के राष्ट्रपति जुआन मैनुअल सैंटोस को नोबेल शांति पुरस्कार, राशि करेंगे संघर्ष पीड़ितों को दान

नई दिल्ली/गोडवाड ज्योती: दुनिया में वैसे तो न जाने कितने ही पुरस्कार दिए जाते हैं लेकिन फिल्मी दुनिया में ऑस्कर और वास्तविक दुनिया में शांति के नोबेल पुरस्कार की चर्चा लंबे समय तक बनी रहती है। साल २०१६ के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में घोषित हो चुके हैं और यह बहुप्रतीक्षित पुरस्कार कोलंबिया के नेता और राष्ट्रपति जुआन मैनुअल सैंटोस को कोलंबिया शांति समझौता के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया जायेगा। कोलंबिया में लगभग ५२ साल के संघर्ष के बाद शांति समझौता हुआ। हालांकि देश की जनता ने इस समझौता ठुकरा दिया था लेकिन इस पुरस्कार की घोषणा करने वाली कमिटी का कहना है कि कोलंबिया की जनता ने भले ही उस शांति समझौते को नकारा हो लेकिन वे शांति के पक्ष में ही हैं। नोबेल पुरस्कार के तहत उन्हें १० दिसंबर को ओस्लो में होने वाले एक समारोह में स्वर्ण पदक, डिप्लोमा और ९२५,००० अमेरिकी डॉलर का एक चेक दिया जाएगा। राष्ट्रपति ने घोषणा की कि वे नोबेल शांति पुरस्कार में मिलने वाली ९२५,००० अमेरिकी डॉलर की राशि संघर्ष पीड़ितों और शांति की सुलह करने वाली परियोजनाओं को देंगे।
साल २०१६ में शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए कुल ३७६ उम्मीदवार हैं, जो कि खुद में एक रिकॉर्ड है। इनमें से २२८ व्यक्ति और १४८ संगठन। २०१६ के नोबेल शांति पुरस्कारों की रेस में भारत के श्रीश्री रविशंकर, अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प, रूसी मानवाधिकार कार्यकर्ता स्वेतलाना गनुश्किना, सीरिया के युद्धग्रस्त इलाकों में सफेद हेलमेट पहनकर राहत कार्यों को अंजाम देने वाला ग्रुप व्हाइट हेलमेट और दिल्ली में २०१३ में एशियन साइकिलिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाली अफगानिस्तान की महिला साइकिलिंग टीम भी शामिल हैं। वैसे तो इस पुरस्कार को जीतने वालों की औसत उम्र ६१ है पर इस पुरस्कार को पाने वाले अधिकांश लोग ५०, ६० या ७० वर्ष के उम्रदराज लोग रहे हैं। इस पुरस्कार को सबसे कम उम्र में पाने वाली लड़की मलाला रही है। मलाला को यह पुरस्कार महज १७ साल की उम्र में मिला और भारत के कैलाश सत्यार्थी भी मलाला के साथ साझे रूप से इस पुरस्कार को पा चुके हैं।

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