श्रीसंघ द्वारा *बालमुनिराजश्री प्रत्यक्षरत्न विजयजी म.सा. को ‘प्रथम शतावधानी’ उपाधि प्रदान*
रतलाम 2 नवम्बर 16 । लोकसन्त, गच्छाधिपति, जैनाचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. के रतलाम चातुर्मास में बुधवार को एक और नया इतिहास रच गया। उनके सुशिष्य 19 वर्षीय बालमुनिराजश्री प्रत्यक्षरत्न विजयजी म.सा. ने स्मरण शक्ति, ध्यान शक्ति व कृपा शक्ति के अभिनव प्रयोग ‘शतावधान’ से सभी को अचंभित कर दिया। सबसे कम उम्र के बालमुनिराजश्री ने 108 प्रश्नों के सबसे पहले अनुक्रम, फिर अनानुक्रम, पश्चात् क्रमांक तक शब्द तथा शब्द पर क्रमांक की अभिनव प्रस्तुति दी। अपने तरह के इस अनूठे आयोजन में अखिल भारतीय त्रिस्तुतिक जैन श्वेताम्बर श्रीसंघ की ओर से चातुर्मास आयोजक तथा राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप ने उन्हें ‘प्रथम शतावधानी’ की उपाधि से अलंकृत किया ।
जयन्तसेन धाम में लोकसन्तश्री की निश्रा में बालमुनिराजश्री प्रत्यक्षरत्न विजयजी म.सा. ने शतावधान आध्यात्मिक विकास यात्रा में अद्वितीय स्मरण शक्ति से प्राप्त सिद्धियों का अद्भुत प्रयोग किया। कार्यक्रम में तीर्थंकर, तीर्थंकर की माता/स्त्री, पूर्वाचार्य एवं आचार्य, ज्ञान-दर्शन-चारित्र, वैज्ञानिक या दार्शनिक, देश, ग्रंथ, वस्तु, राशि, खेल, नदी, माह, प्रदेश, तीर्थ त्यौहार, तप एवं मिठाई आदि से संबंधित विषयों पर 108 प्रश्नों के उत्तर उपस्थितजनों ने करीब 70 मिनट में करते हुए उत्तर पुस्तिका में अंकित किए। बालमुनिराजश्री ने इन सभी प्रश्नों के जवाब सुनने के बाद लगभग 19 मिनट में सर्वप्रथम अनुक्रम, फिर अनानुक्रम और उसके बाद क्रमांक तक शब्द तथा शब्द पर क्रमांक के रुप में देकर अपनी आलौकिक स्मरण शक्ति के अभिनव प्रयोग से प्रस्तुत किए। इसके पूर्व उन्होंने शतावधान की यह अनूठी प्रस्तुति पेपराल तीर्थ और उसके बाद दूसरी बार जयन्तसेन धाम रतलाम में दी है । स्मरण शक्ति का अभिनय प्रयोग - लोकसन्तश्री
लोकसन्तश्री ने कहा कि शतावधान स्मरण शक्ति का एक अभिनव प्रयोग है । बालमुनि ने छोटी सी उम्र में इसमें सिद्धता प्राप्त की है । सम्पूर्ण एकाग्रता एवं विलक्षण स्मरण शक्ति के प्रयोग से स्वयं की आंतरिक स्थिरता को प्रकट करने का यह प्रयोग है । इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले यदा-कदा ही मिलते हैं । मुनिराजश्री चारित्ररत्न विजयजी म.सा. ने मंगलाचरण पश्चात् बताया कि अपनी विलक्षण स्मरण शक्ति से बाल मुनिराज ने वारसा सूत्र भी कंठस्थ किया है । मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि गुरुदेव की कृपा से बालमुनि ने यह अद्भुत कार्य कर दिखाया है। आपने कहा कि तीन घंटे निरन्तर प्रवचन करना सरल है, लेकिन स्मरण शक्ति की यह साधना बहुत कठिन है । शतावधानी बालमुनिराजश्री ने कहा कि गुरु आशीर्वाद एवं गुरु के प्रति श्रद्धा से शिष्य मोक्ष मंजिल को प्राप्त कर सकता है । गुरुदेव की मुझे इस साधना के लिए आज्ञा मिली थी और उनकी कृपा से ही आज यह मुकाम पाया है । बालमुनिश्री प्रसिद्धरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि गुरु कृपा से बालमुनिराज त्रिस्तुतिक संघ, जैन शासन का गौरव बढ़ा रहे हैं।
रतलाम में नया इतिहास रचा - श्री काश्यप
चातुर्मास आयोजक चेतन्य काश्यप ने कहा कि रतलाम की धर्मधरा पर आज एक नया इतिहास लिखा गया है । दादा गुरुदेवश्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. ने रतलाम में अभिधान राजेन्द्र कोष का लेखन एवं प्रकाशन करवाया था, उसी भूमि पर बालमुनिराज ने शतावधान की प्रस्तुति से नया इतिहास रचा है । प्रकृति प्रदत्त स्मरण शक्ति का उपयोग गुरु उपदिष्ट साधना द्वारा करते हुए गुरुकृपा से किन आध्यात्मिक ऊंचाईयों तक पहुंचा जा सकता है, इसका उदाहरण उन्होंने प्रस्तुत किया है । आपने कहा कि पुण्य पावन पेपराल की धरा ने श्रीसंघ को रत्न दिए हैं। ऐसे रत्न को पाकर अ.भा. र्तिस्तुतिक जैन श्वेताम्बर श्रीसंघ अभिभूत है। संघ की ओर से हम बालमुनिराजश्री को ‘प्रथम शतावधानी’ उपाधि से अलंकृत कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे है ।
चातुर्मास आयोजक का बहुमान-
कार्यक्रम में लोकसन्तश्री के सांसारिक भाई पोपटभाई धरु, बालमुनिराजश्री प्रत्यक्षरत्न विजयजी के सांसारिक पिता किरीट भाई एवं अ.भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश भाई धरु परिवार के 85 सदस्यों ने ऐतिहासिक चातुर्मास आयोजन के लिए आयोजक चेतन्य काश्यप एवं मातुश्री तेजकुंवरबाई काश्यप का श्रीमती सविता बहन, रंजना बहन धरु आदि ने बहुमान किया । रावटी श्रीसंघ के रखबचन्द्र मेहता ने श्री काश्यप एवं पोरवाल युवा महिला मण्डल की किरण पोरवाल के नेतृत्व में मातुश्री का बहुमान किया । कार्यक्रम में मंचासीन प्रथम शतावधानी महिला निलिषा बहन व कार्यक्रम संचालक अभिषेक सेठिया (उज्जैन) का बहुमान सिद्धार्थ-पूर्वी काश्यप, श्रवण काश्यप व समीक्षा काश्यप ने बहुमान किया । दादा गुरुदेव की आरती का लाभ पोपटभाई धरु परिवार ने लिया।ब्रजेश बोहरा नागदा
रतलाम 2 नवम्बर 16 । लोकसन्त, गच्छाधिपति, जैनाचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. के रतलाम चातुर्मास में बुधवार को एक और नया इतिहास रच गया। उनके सुशिष्य 19 वर्षीय बालमुनिराजश्री प्रत्यक्षरत्न विजयजी म.सा. ने स्मरण शक्ति, ध्यान शक्ति व कृपा शक्ति के अभिनव प्रयोग ‘शतावधान’ से सभी को अचंभित कर दिया। सबसे कम उम्र के बालमुनिराजश्री ने 108 प्रश्नों के सबसे पहले अनुक्रम, फिर अनानुक्रम, पश्चात् क्रमांक तक शब्द तथा शब्द पर क्रमांक की अभिनव प्रस्तुति दी। अपने तरह के इस अनूठे आयोजन में अखिल भारतीय त्रिस्तुतिक जैन श्वेताम्बर श्रीसंघ की ओर से चातुर्मास आयोजक तथा राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप ने उन्हें ‘प्रथम शतावधानी’ की उपाधि से अलंकृत किया ।
जयन्तसेन धाम में लोकसन्तश्री की निश्रा में बालमुनिराजश्री प्रत्यक्षरत्न विजयजी म.सा. ने शतावधान आध्यात्मिक विकास यात्रा में अद्वितीय स्मरण शक्ति से प्राप्त सिद्धियों का अद्भुत प्रयोग किया। कार्यक्रम में तीर्थंकर, तीर्थंकर की माता/स्त्री, पूर्वाचार्य एवं आचार्य, ज्ञान-दर्शन-चारित्र, वैज्ञानिक या दार्शनिक, देश, ग्रंथ, वस्तु, राशि, खेल, नदी, माह, प्रदेश, तीर्थ त्यौहार, तप एवं मिठाई आदि से संबंधित विषयों पर 108 प्रश्नों के उत्तर उपस्थितजनों ने करीब 70 मिनट में करते हुए उत्तर पुस्तिका में अंकित किए। बालमुनिराजश्री ने इन सभी प्रश्नों के जवाब सुनने के बाद लगभग 19 मिनट में सर्वप्रथम अनुक्रम, फिर अनानुक्रम और उसके बाद क्रमांक तक शब्द तथा शब्द पर क्रमांक के रुप में देकर अपनी आलौकिक स्मरण शक्ति के अभिनव प्रयोग से प्रस्तुत किए। इसके पूर्व उन्होंने शतावधान की यह अनूठी प्रस्तुति पेपराल तीर्थ और उसके बाद दूसरी बार जयन्तसेन धाम रतलाम में दी है । स्मरण शक्ति का अभिनय प्रयोग - लोकसन्तश्री
लोकसन्तश्री ने कहा कि शतावधान स्मरण शक्ति का एक अभिनव प्रयोग है । बालमुनि ने छोटी सी उम्र में इसमें सिद्धता प्राप्त की है । सम्पूर्ण एकाग्रता एवं विलक्षण स्मरण शक्ति के प्रयोग से स्वयं की आंतरिक स्थिरता को प्रकट करने का यह प्रयोग है । इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले यदा-कदा ही मिलते हैं । मुनिराजश्री चारित्ररत्न विजयजी म.सा. ने मंगलाचरण पश्चात् बताया कि अपनी विलक्षण स्मरण शक्ति से बाल मुनिराज ने वारसा सूत्र भी कंठस्थ किया है । मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि गुरुदेव की कृपा से बालमुनि ने यह अद्भुत कार्य कर दिखाया है। आपने कहा कि तीन घंटे निरन्तर प्रवचन करना सरल है, लेकिन स्मरण शक्ति की यह साधना बहुत कठिन है । शतावधानी बालमुनिराजश्री ने कहा कि गुरु आशीर्वाद एवं गुरु के प्रति श्रद्धा से शिष्य मोक्ष मंजिल को प्राप्त कर सकता है । गुरुदेव की मुझे इस साधना के लिए आज्ञा मिली थी और उनकी कृपा से ही आज यह मुकाम पाया है । बालमुनिश्री प्रसिद्धरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि गुरु कृपा से बालमुनिराज त्रिस्तुतिक संघ, जैन शासन का गौरव बढ़ा रहे हैं।
रतलाम में नया इतिहास रचा - श्री काश्यप
चातुर्मास आयोजक चेतन्य काश्यप ने कहा कि रतलाम की धर्मधरा पर आज एक नया इतिहास लिखा गया है । दादा गुरुदेवश्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. ने रतलाम में अभिधान राजेन्द्र कोष का लेखन एवं प्रकाशन करवाया था, उसी भूमि पर बालमुनिराज ने शतावधान की प्रस्तुति से नया इतिहास रचा है । प्रकृति प्रदत्त स्मरण शक्ति का उपयोग गुरु उपदिष्ट साधना द्वारा करते हुए गुरुकृपा से किन आध्यात्मिक ऊंचाईयों तक पहुंचा जा सकता है, इसका उदाहरण उन्होंने प्रस्तुत किया है । आपने कहा कि पुण्य पावन पेपराल की धरा ने श्रीसंघ को रत्न दिए हैं। ऐसे रत्न को पाकर अ.भा. र्तिस्तुतिक जैन श्वेताम्बर श्रीसंघ अभिभूत है। संघ की ओर से हम बालमुनिराजश्री को ‘प्रथम शतावधानी’ उपाधि से अलंकृत कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे है ।
चातुर्मास आयोजक का बहुमान-
कार्यक्रम में लोकसन्तश्री के सांसारिक भाई पोपटभाई धरु, बालमुनिराजश्री प्रत्यक्षरत्न विजयजी के सांसारिक पिता किरीट भाई एवं अ.भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश भाई धरु परिवार के 85 सदस्यों ने ऐतिहासिक चातुर्मास आयोजन के लिए आयोजक चेतन्य काश्यप एवं मातुश्री तेजकुंवरबाई काश्यप का श्रीमती सविता बहन, रंजना बहन धरु आदि ने बहुमान किया । रावटी श्रीसंघ के रखबचन्द्र मेहता ने श्री काश्यप एवं पोरवाल युवा महिला मण्डल की किरण पोरवाल के नेतृत्व में मातुश्री का बहुमान किया । कार्यक्रम में मंचासीन प्रथम शतावधानी महिला निलिषा बहन व कार्यक्रम संचालक अभिषेक सेठिया (उज्जैन) का बहुमान सिद्धार्थ-पूर्वी काश्यप, श्रवण काश्यप व समीक्षा काश्यप ने बहुमान किया । दादा गुरुदेव की आरती का लाभ पोपटभाई धरु परिवार ने लिया।ब्रजेश बोहरा नागदा

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