गुरुदेव श्री यतीन्द्र सूरीश्वरजी की जन्म-जयन्ती मनाई
रतलाम 1 नवम्बर 16 । गुरु के सान्निध्य के बिना जीवन में कभी भी सफलता संभव नहीं । 12 वर्ष में माता-पिता के वियोग पश्चात रामरतन गुरु की खोज करते हुए दादा गुरुदेव श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. से मिले और उनका शिष्यत्व स्वीकार किया । गुरुदेव श्री यतीन्द्र सूरीश्वरजी ने दीक्षा पश्चात अनेक शान्नें का अध्ययन किया तथा गुरुगच्छ की गरिमा एवं प्रभावना के कई कार्य किए ।
उक्त बात लोकसन्त, गच्छाधिपति, आचार्यदेव श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. ने अपने गुरु श्रीमद् विजय यतीन्द्र सूरिजी म.सा. के जन्म जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित गुणानुवाद सभा में जयन्तसेन धाम में कही। आपने कहा कि गुरुदेव श्री यतीन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. ने अनेक समस्याओं का समाधान शान्न् प्रमाणों से किया है । रतलाम से भी गुरुदेव के अनेक पहलू जुड़े हुए हैं । पिताम्बर विजेता की पदवी एवं 17 वर्षों के परिश्रम द्वारा श्री अभिधान राजेन्द्र कोष का प्रकाशन भी रतलाम से उन्होंने किया था । साथ ही श्री मोहनखेड़ा का तीर्थोद्धार भी उन्हीं के श्रम का सुफल है । आपने कहा कि एक समय श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में साधु-साध्वीजी के रुकने का अनुकूल स्थान नहीं होने पर आपने काश्यप परिवार को प्रेरणा प्रदान कर यहां एक हाल का सर्वप्रथम निर्माण करवाया तथा तीर्थोद्धार की नींव रखी। लोकसन्तश्री ने कहा कि गुरुदेवश्री का जीवन अनुशासन से भरा हुआ था। वे बहुत ही निर्भीक एवं सशक्त संयमी थे, अनेक ग्रंथों का आलेखन भी उनकी कलम से हुआ था ।
मुनिराजश्री चारिर्तरत्न विजयजी ने कहा कि गुरुदेवश्री यतीन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. ने प्रथम चातुर्मास रतलाम में किया । आपकी प्रथम पुस्तक का प्रकाशन भी यहीं से हुआ । मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि शिष्य की प्रतिभा उनके गुरु की प्रभावकता को बताती है । अभिधान राजेन्द्र कोष का प्रकाशन, अ.भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् की स्थापना एवं आचार्यश्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. जैसे शासन प्रभावक, गच्छाधिपति ये तीन महान उपकार गुरुदेव के हैं । मुनिश्री पविर्तरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि श्री यतीन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. ने संघ को बहुत कुछ दिया है । इसमें से हमें जो भी मिला, वह उनका ही प्रभाव है । हमारे गुरुदेव ने उनके गुरुदेव से जो भी प्राप्त किया, वह हमें सीखाया है ।
इस अवसर पर चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप परिवार द्वारा गुरुमंदिर में श्री यतीन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. की अष्टप्रकारी पूजन पढ़ाई गई । दादा गुरुदेव व श्री यतीन्द्र सूरिजी की आरती का लाभ छबिदास, भाईचन्द धरु परिवार पेपराल ने व वासक्षेप पूजा का लाभ सुरेशचन्द्र, राजेश कुमार, संजय कोचर परिवार रतलाम ने लिया। अलवर, दिल्ली, सूरत, थराद, पेपराल श्रीसंघ के गुरुभक्तों ने भी लोकसन्तश्री के दर्शन-वन्दन कर आशीर्वाद लिया। ़
लोकसन्तश्री के सान्निध्य में चातुर्मास आयोजक चेतन्य काश्यप का अभिनन्दन मंगलवार को रतलाम जिला व्यापारी महासंघ द्वारा अध्यक्ष बाबूलाल राठी के नेतृत्व में किया गया । यहां गोपाल राठी, शांतिलाल उपाध्याय, महेन्द्र चौहान, रमेश चोथियानी, सुरेश पापटवाल, दिनेश शर्मा, विनोद कटारिया, विजय असावा, ज्ञानचंद सिंधी आदि उपस्थित थे। इसी प्रकार श्रीमद् भागवत गीता पर्व सप्ताह ट्रस्ट बोर्ड (मारवाडी स्वर्णकार समाज) के पदाधिकारियों ने संस्थापक अध्यक्ष नवनीत सोनी के नेतृत्व में श्री काश्यप का अभिनन्दन किया । यहां ट्रस्ट के मोहनलाल मिंडिया, जगदीशचन्द्र भामा, संजय अग्रोया, रमेश कडेल, संजय सोलीवाल, अरविन्द सोनी, अशोक मिंडिया, मुकेश सोनी, रवि सोनी आदि उपस्थित थे ।
बाक्स....
स्मरण शक्ति के अभिनव प्रयोग शतावधान का आयोजन आज
लोकसन्त, गच्छाधिपति, जैनाचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में आज 2 नवम्बर को प्रात: 9.00 बजे जयन्तसेन धाम में शतावधान का अभिनव आयोजन होगा। इसमें लोकसन्तश्री के युवा शिष्य मुनिराजश्री प्रत्यक्षरत्न विजयजी म.सा. द्वारा स्मरण शक्ति के माध्यम से श्रीसंघ में प्रथम बार शतावधान प्रस्तुत किया जाएगा। शतावधान आध्यात्मिक विकास यार्ता में साधक द्वारा प्राप्त की गई सिद्धियों में एक प्रयोग है । एक साथ सौ या इससे अधिक शब्दों का स्मरण कर अनुक्रम, अनानुक्रम, पश्चानुक्रम से बोलने की क्रिया शतावधान है । इस कार्यक्रम में उपस्थितजनों द्वारा 108 शब्द कहे जाएंगे, जिसे अन्त में मुनिश्री प्रत्यक्षरत्न विजयजी म.सा. पहले अनुक्रम, फिर अनानुक्रम, पश्चात क्रमांक तक शब्द एवं शब्द पर क्रमांक उपस्थितजनों के सामने प्रस्तुत करेंगे । ज्ञातव्य है कि स्मरण शक्ति, ध्यान शक्ति, कृपा शक्ति की र्तिवेणी का संगम होने पर ही व्यक्ति शतावधान के लिए सक्षम बन पाता है । ऐसा ही अभिनव आयोजन आज होने जा रहा है ।ब्रजेश बोहरा नागदा
रतलाम 1 नवम्बर 16 । गुरु के सान्निध्य के बिना जीवन में कभी भी सफलता संभव नहीं । 12 वर्ष में माता-पिता के वियोग पश्चात रामरतन गुरु की खोज करते हुए दादा गुरुदेव श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. से मिले और उनका शिष्यत्व स्वीकार किया । गुरुदेव श्री यतीन्द्र सूरीश्वरजी ने दीक्षा पश्चात अनेक शान्नें का अध्ययन किया तथा गुरुगच्छ की गरिमा एवं प्रभावना के कई कार्य किए ।
उक्त बात लोकसन्त, गच्छाधिपति, आचार्यदेव श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. ने अपने गुरु श्रीमद् विजय यतीन्द्र सूरिजी म.सा. के जन्म जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित गुणानुवाद सभा में जयन्तसेन धाम में कही। आपने कहा कि गुरुदेव श्री यतीन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. ने अनेक समस्याओं का समाधान शान्न् प्रमाणों से किया है । रतलाम से भी गुरुदेव के अनेक पहलू जुड़े हुए हैं । पिताम्बर विजेता की पदवी एवं 17 वर्षों के परिश्रम द्वारा श्री अभिधान राजेन्द्र कोष का प्रकाशन भी रतलाम से उन्होंने किया था । साथ ही श्री मोहनखेड़ा का तीर्थोद्धार भी उन्हीं के श्रम का सुफल है । आपने कहा कि एक समय श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में साधु-साध्वीजी के रुकने का अनुकूल स्थान नहीं होने पर आपने काश्यप परिवार को प्रेरणा प्रदान कर यहां एक हाल का सर्वप्रथम निर्माण करवाया तथा तीर्थोद्धार की नींव रखी। लोकसन्तश्री ने कहा कि गुरुदेवश्री का जीवन अनुशासन से भरा हुआ था। वे बहुत ही निर्भीक एवं सशक्त संयमी थे, अनेक ग्रंथों का आलेखन भी उनकी कलम से हुआ था ।
मुनिराजश्री चारिर्तरत्न विजयजी ने कहा कि गुरुदेवश्री यतीन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. ने प्रथम चातुर्मास रतलाम में किया । आपकी प्रथम पुस्तक का प्रकाशन भी यहीं से हुआ । मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि शिष्य की प्रतिभा उनके गुरु की प्रभावकता को बताती है । अभिधान राजेन्द्र कोष का प्रकाशन, अ.भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् की स्थापना एवं आचार्यश्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. जैसे शासन प्रभावक, गच्छाधिपति ये तीन महान उपकार गुरुदेव के हैं । मुनिश्री पविर्तरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि श्री यतीन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. ने संघ को बहुत कुछ दिया है । इसमें से हमें जो भी मिला, वह उनका ही प्रभाव है । हमारे गुरुदेव ने उनके गुरुदेव से जो भी प्राप्त किया, वह हमें सीखाया है ।
इस अवसर पर चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप परिवार द्वारा गुरुमंदिर में श्री यतीन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. की अष्टप्रकारी पूजन पढ़ाई गई । दादा गुरुदेव व श्री यतीन्द्र सूरिजी की आरती का लाभ छबिदास, भाईचन्द धरु परिवार पेपराल ने व वासक्षेप पूजा का लाभ सुरेशचन्द्र, राजेश कुमार, संजय कोचर परिवार रतलाम ने लिया। अलवर, दिल्ली, सूरत, थराद, पेपराल श्रीसंघ के गुरुभक्तों ने भी लोकसन्तश्री के दर्शन-वन्दन कर आशीर्वाद लिया। ़
लोकसन्तश्री के सान्निध्य में चातुर्मास आयोजक चेतन्य काश्यप का अभिनन्दन मंगलवार को रतलाम जिला व्यापारी महासंघ द्वारा अध्यक्ष बाबूलाल राठी के नेतृत्व में किया गया । यहां गोपाल राठी, शांतिलाल उपाध्याय, महेन्द्र चौहान, रमेश चोथियानी, सुरेश पापटवाल, दिनेश शर्मा, विनोद कटारिया, विजय असावा, ज्ञानचंद सिंधी आदि उपस्थित थे। इसी प्रकार श्रीमद् भागवत गीता पर्व सप्ताह ट्रस्ट बोर्ड (मारवाडी स्वर्णकार समाज) के पदाधिकारियों ने संस्थापक अध्यक्ष नवनीत सोनी के नेतृत्व में श्री काश्यप का अभिनन्दन किया । यहां ट्रस्ट के मोहनलाल मिंडिया, जगदीशचन्द्र भामा, संजय अग्रोया, रमेश कडेल, संजय सोलीवाल, अरविन्द सोनी, अशोक मिंडिया, मुकेश सोनी, रवि सोनी आदि उपस्थित थे ।
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स्मरण शक्ति के अभिनव प्रयोग शतावधान का आयोजन आज
लोकसन्त, गच्छाधिपति, जैनाचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में आज 2 नवम्बर को प्रात: 9.00 बजे जयन्तसेन धाम में शतावधान का अभिनव आयोजन होगा। इसमें लोकसन्तश्री के युवा शिष्य मुनिराजश्री प्रत्यक्षरत्न विजयजी म.सा. द्वारा स्मरण शक्ति के माध्यम से श्रीसंघ में प्रथम बार शतावधान प्रस्तुत किया जाएगा। शतावधान आध्यात्मिक विकास यार्ता में साधक द्वारा प्राप्त की गई सिद्धियों में एक प्रयोग है । एक साथ सौ या इससे अधिक शब्दों का स्मरण कर अनुक्रम, अनानुक्रम, पश्चानुक्रम से बोलने की क्रिया शतावधान है । इस कार्यक्रम में उपस्थितजनों द्वारा 108 शब्द कहे जाएंगे, जिसे अन्त में मुनिश्री प्रत्यक्षरत्न विजयजी म.सा. पहले अनुक्रम, फिर अनानुक्रम, पश्चात क्रमांक तक शब्द एवं शब्द पर क्रमांक उपस्थितजनों के सामने प्रस्तुत करेंगे । ज्ञातव्य है कि स्मरण शक्ति, ध्यान शक्ति, कृपा शक्ति की र्तिवेणी का संगम होने पर ही व्यक्ति शतावधान के लिए सक्षम बन पाता है । ऐसा ही अभिनव आयोजन आज होने जा रहा है ।ब्रजेश बोहरा नागदा

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