विसाजी मेंशन से निकलेगा चल समारोह, अंतिम दिन लगा गुरुभक्तों का मेला,
कई संस्थाओं द्वारा चातुर्मास आयोजक का अभिनन्दन
रतलाम 13 नवम्बर 16। जयन्तसेन धाम में ऐतिहासिक चातुर्मास पूर्ण कर लोकसन्त, आचार्य, गच्छाधिपति, श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. मुनिमण्डल व साध्वीवृन्द के साथ 14 नवम्बर को चातुर्मास स्थल परिवर्तन कर विहार करेंगे। रतलाम से दोपहर 2.00 बजे स्टेशन रोड स्थित विसाजी मेंशन से उनका विहार चल समारोह के रुप में होगा। इससे पूर्व वे सुबह जयन्तसेन धाम से शहर के विभिन्न स्थानों पर होते हुए विसाजी मेंशन पहुंचकर आशीर्वचन प्रदान करेंगे। उनके विहार में कई गुरुभक्त, धर्मालुजन शामिल होंगे। रविवार को लोकसन्तश्री के दर्शन-वन्दन कर आशीर्वाद लेने वाले भक्तों का मेला लगा रहा। कई संस्थाओं ने चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप का अभिनन्दन कर चातुर्मास के भव्य आयोजन की अनुमोदना की।
लोकसन्तश्री चातुर्मास स्थल परिवर्तन कर प्रात: 6.00 बजे जयन्तसेन धाम से विहार कर जैन स्कूल पहुंचेंगे। यहां उनकी निश्रा में राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष व विधायक चेतन्य काश्यप के मुख्य आतिथ्य में सेठ कन्हैयालाल काश्यप जैन विद्या भवन के विस्तारीकरण का लोकार्पण समारोह आयोजित होगा। यहां से 8.15 बजे चल समारोह के रुप में लोकसन्तश्री खैरादीवास स्थित नीमवाला उपाश्रय पहुंचकर दर्शन-वन्दन करेंगे। इसके बाद चल समारोह 9.00 बजे मानव सेवा समिति द्वारा संचालित ब्लड बैंक पहुंचेगा। लोकसन्तश्री 9.30 बजे न्यू रोड स्थित सिंधी सनातन धर्म मंदिर (गुरुद्वारा) व तत्पश्चात गुरु सिंघ सभा (सिख गुरुद्वारा) पर जाएंगे, तत्पश्चात चल समारोह चातुर्मास आयोजक श्री काश्यप के निवास विसाजी मेंशन पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित होगा । रतलाम से लोकसन्तश्री का विहार दोपहर 2.00 बजे समारोहपूर्वक विसाजी मेंशन से होगा। विहार के दौरान रतलामवासी चल समारोह के रुप में उन्हें विदाई देने औद्योगिक क्षेर्त स्थित छाजेड़ प्रिंटर्स प्रा.लि. तक जाएंगे। यहां वे शाम 4.00 बजे आशीर्वचन देंगे। इसके बाद 15 नवम्बर को वे अलसुबह नामली के लिए प्रस्थित होंगे जहां 16 नवम्बर को उनकी निश्रा में प्राण प्रतिष्ठा होगी ।
लोकसन्तश्री की निश्रा में आयोजित समारोह में रविवार को रतलाम की विभिन्न संस्थाओं ने चातुर्मास आयोजक श्री काश्यप का अभिनन्दन कर उन्हें श्रेष्ठ वीर अलंकरण, नगर सेठ और अन्य उपाधियों से अलंकृत किया। महावीर इंटरनेशनल रतलाम, अ.भा. रजक महासंघ, कोली समाज, केशरियानाथ व्यवस्थापक कमेटी, मेवाडा सूर्तकार भांबी समाज, जिला वैष्णव बैरागी समाज एवं श्री सौभाग्य जैन साधना व जनकल्याण परिसर सहित अन्य संस्थाओं ने शॉल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह प्रदान कर श्री काश्यप का सम्मान किया। संचालन राजकमल जैन ने किया। इस दौरान मुनिमण्डल व साध्वीवृन्द सहित कई गुरुभक्त उपस्थित थे ।
माता-पिता के उपकार को कभी मत भूलना - लोकसन्तश्री
जयन्तसेन धाम में चातुर्मास पूर्णता के पूर्व समापन प्रवचन में लोकसन्तश्री ने मानवमार्त को माता-पिता का उपकार कभी न भूलने की सीख दी । उन्होंने कहा जीवन में मर्यादा का पालन करना बहुत जरुरी है। मर्यादा के बिना जीवन को ऊपर नहीं उठाया जा सकता । पहली मर्यादा जन्म देने वाले माता-पिता के उपकारों का कर्ज चुकाना होता है । माता-पिता को प्रसन्नचित्त रखने वाला ही सुपुर्त होता है, नहीं तो कुपुर्त कहलाता है। प्रत्येक व्यक्ति को यह नहीं भूलना चाहिए कि यदि वह अपने माता-पिता को नहीं संभालेगा तो भविष्य में उसकी संतान भी उसे नहीं संभालेगी । माता-पिता का आशीर्वाद नहीं मिलने पर व्यक्ति भटक जाता है, जबकि उनका आशीर्वाद जीवन को सुन्दर और निर्मल बनाता है । लोकसन्तश्री ने चातुर्मास के दौरान अपनी स्वस्थता पर प्रशंसा जताते हुए सभी सहयोगियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि प्रभु महावीर ने चातुर्मास में साधु को एक स्थान पर चार माह रहने की आज्ञा दी है, फिर विहार करना ही होता है । साधु एक जगह रहे तो जीवन की साधना से भटक जाता है। इसलिए विहार करना पड़ता है । वे सोमवार को विहार करेंगे, लेकिन रतलामवासियों से अपेक्षा है कि वे चातुर्मास के दौरान आए जीवन के परिवर्तनों को सदैव अमल में लाएंगे ।
मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि महान बनने के लिए जीवन में गुण होना जरुरी है । सूर्य समान तेज, चन्द्र समान शीतलता, सागर समान गंभीरता और पर्वत समान अडिगता को हमें अपनाना चाहिए । इन सारे गुणों को नहीं अपना सको तो नम्रता को अवश्य स्वीकार करना चाहिए। नम्र बनने वाला व्यक्ति अवश्य महान बनता है क्योंकि नम्रता में सारे गुणों का समावेश हो जाता है । उन्होंने कहा कि रतलाम चातुर्मास का इतिहास सदैव स्मरणीय रहेगा। चातुर्मास आयोजक चेतन्य काश्यप परिवार का समर्पण सबके लिए प्रेरणादायी बनेगा । मुनिराजश्री चारिर्तरत्न विजयजी म.सा., श्री प्रसिद्धरत्न विजयजी म.सा. ने भी संबोधित किया। इससे पूर्व फतेहलाल कोठारी, प्रो. वी.के. जैन, कल्पना जागीरदार, कांतिलाल दुग्गड़, मयंक कोठारी, प्रवीण संघवी, वैभव गादिया, मीनाक्षी बौराणा, सुनीता दुग्गड, अर्पण बाफना, मानसी नेहा मेहता, सुमित सुराणा ने विचार रखे। चातुर्मास आयोजक परिवार के सिद्धार्थ काश्यप ने चातुर्मास के दौरान हुए अविनय के लिए क्षमायाचना की । इस मौके पर कई श्रद्धालुओं ने चातुर्मास स्थल जयन्तसेन धाम पर नियमित आने के संकल्प लिए । दादा गुरुदेव की आरती का लाभ पुखराजबाई मिश्रीमल मेहता परिवार ने लिया ।
कई संस्थाओं द्वारा चातुर्मास आयोजक का अभिनन्दन
रतलाम 13 नवम्बर 16। जयन्तसेन धाम में ऐतिहासिक चातुर्मास पूर्ण कर लोकसन्त, आचार्य, गच्छाधिपति, श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. मुनिमण्डल व साध्वीवृन्द के साथ 14 नवम्बर को चातुर्मास स्थल परिवर्तन कर विहार करेंगे। रतलाम से दोपहर 2.00 बजे स्टेशन रोड स्थित विसाजी मेंशन से उनका विहार चल समारोह के रुप में होगा। इससे पूर्व वे सुबह जयन्तसेन धाम से शहर के विभिन्न स्थानों पर होते हुए विसाजी मेंशन पहुंचकर आशीर्वचन प्रदान करेंगे। उनके विहार में कई गुरुभक्त, धर्मालुजन शामिल होंगे। रविवार को लोकसन्तश्री के दर्शन-वन्दन कर आशीर्वाद लेने वाले भक्तों का मेला लगा रहा। कई संस्थाओं ने चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप का अभिनन्दन कर चातुर्मास के भव्य आयोजन की अनुमोदना की।
लोकसन्तश्री चातुर्मास स्थल परिवर्तन कर प्रात: 6.00 बजे जयन्तसेन धाम से विहार कर जैन स्कूल पहुंचेंगे। यहां उनकी निश्रा में राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष व विधायक चेतन्य काश्यप के मुख्य आतिथ्य में सेठ कन्हैयालाल काश्यप जैन विद्या भवन के विस्तारीकरण का लोकार्पण समारोह आयोजित होगा। यहां से 8.15 बजे चल समारोह के रुप में लोकसन्तश्री खैरादीवास स्थित नीमवाला उपाश्रय पहुंचकर दर्शन-वन्दन करेंगे। इसके बाद चल समारोह 9.00 बजे मानव सेवा समिति द्वारा संचालित ब्लड बैंक पहुंचेगा। लोकसन्तश्री 9.30 बजे न्यू रोड स्थित सिंधी सनातन धर्म मंदिर (गुरुद्वारा) व तत्पश्चात गुरु सिंघ सभा (सिख गुरुद्वारा) पर जाएंगे, तत्पश्चात चल समारोह चातुर्मास आयोजक श्री काश्यप के निवास विसाजी मेंशन पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित होगा । रतलाम से लोकसन्तश्री का विहार दोपहर 2.00 बजे समारोहपूर्वक विसाजी मेंशन से होगा। विहार के दौरान रतलामवासी चल समारोह के रुप में उन्हें विदाई देने औद्योगिक क्षेर्त स्थित छाजेड़ प्रिंटर्स प्रा.लि. तक जाएंगे। यहां वे शाम 4.00 बजे आशीर्वचन देंगे। इसके बाद 15 नवम्बर को वे अलसुबह नामली के लिए प्रस्थित होंगे जहां 16 नवम्बर को उनकी निश्रा में प्राण प्रतिष्ठा होगी ।
लोकसन्तश्री की निश्रा में आयोजित समारोह में रविवार को रतलाम की विभिन्न संस्थाओं ने चातुर्मास आयोजक श्री काश्यप का अभिनन्दन कर उन्हें श्रेष्ठ वीर अलंकरण, नगर सेठ और अन्य उपाधियों से अलंकृत किया। महावीर इंटरनेशनल रतलाम, अ.भा. रजक महासंघ, कोली समाज, केशरियानाथ व्यवस्थापक कमेटी, मेवाडा सूर्तकार भांबी समाज, जिला वैष्णव बैरागी समाज एवं श्री सौभाग्य जैन साधना व जनकल्याण परिसर सहित अन्य संस्थाओं ने शॉल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह प्रदान कर श्री काश्यप का सम्मान किया। संचालन राजकमल जैन ने किया। इस दौरान मुनिमण्डल व साध्वीवृन्द सहित कई गुरुभक्त उपस्थित थे ।
माता-पिता के उपकार को कभी मत भूलना - लोकसन्तश्री
जयन्तसेन धाम में चातुर्मास पूर्णता के पूर्व समापन प्रवचन में लोकसन्तश्री ने मानवमार्त को माता-पिता का उपकार कभी न भूलने की सीख दी । उन्होंने कहा जीवन में मर्यादा का पालन करना बहुत जरुरी है। मर्यादा के बिना जीवन को ऊपर नहीं उठाया जा सकता । पहली मर्यादा जन्म देने वाले माता-पिता के उपकारों का कर्ज चुकाना होता है । माता-पिता को प्रसन्नचित्त रखने वाला ही सुपुर्त होता है, नहीं तो कुपुर्त कहलाता है। प्रत्येक व्यक्ति को यह नहीं भूलना चाहिए कि यदि वह अपने माता-पिता को नहीं संभालेगा तो भविष्य में उसकी संतान भी उसे नहीं संभालेगी । माता-पिता का आशीर्वाद नहीं मिलने पर व्यक्ति भटक जाता है, जबकि उनका आशीर्वाद जीवन को सुन्दर और निर्मल बनाता है । लोकसन्तश्री ने चातुर्मास के दौरान अपनी स्वस्थता पर प्रशंसा जताते हुए सभी सहयोगियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि प्रभु महावीर ने चातुर्मास में साधु को एक स्थान पर चार माह रहने की आज्ञा दी है, फिर विहार करना ही होता है । साधु एक जगह रहे तो जीवन की साधना से भटक जाता है। इसलिए विहार करना पड़ता है । वे सोमवार को विहार करेंगे, लेकिन रतलामवासियों से अपेक्षा है कि वे चातुर्मास के दौरान आए जीवन के परिवर्तनों को सदैव अमल में लाएंगे ।
मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि महान बनने के लिए जीवन में गुण होना जरुरी है । सूर्य समान तेज, चन्द्र समान शीतलता, सागर समान गंभीरता और पर्वत समान अडिगता को हमें अपनाना चाहिए । इन सारे गुणों को नहीं अपना सको तो नम्रता को अवश्य स्वीकार करना चाहिए। नम्र बनने वाला व्यक्ति अवश्य महान बनता है क्योंकि नम्रता में सारे गुणों का समावेश हो जाता है । उन्होंने कहा कि रतलाम चातुर्मास का इतिहास सदैव स्मरणीय रहेगा। चातुर्मास आयोजक चेतन्य काश्यप परिवार का समर्पण सबके लिए प्रेरणादायी बनेगा । मुनिराजश्री चारिर्तरत्न विजयजी म.सा., श्री प्रसिद्धरत्न विजयजी म.सा. ने भी संबोधित किया। इससे पूर्व फतेहलाल कोठारी, प्रो. वी.के. जैन, कल्पना जागीरदार, कांतिलाल दुग्गड़, मयंक कोठारी, प्रवीण संघवी, वैभव गादिया, मीनाक्षी बौराणा, सुनीता दुग्गड, अर्पण बाफना, मानसी नेहा मेहता, सुमित सुराणा ने विचार रखे। चातुर्मास आयोजक परिवार के सिद्धार्थ काश्यप ने चातुर्मास के दौरान हुए अविनय के लिए क्षमायाचना की । इस मौके पर कई श्रद्धालुओं ने चातुर्मास स्थल जयन्तसेन धाम पर नियमित आने के संकल्प लिए । दादा गुरुदेव की आरती का लाभ पुखराजबाई मिश्रीमल मेहता परिवार ने लिया ।

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