मुंबई/गोडवाड ज्योती: हमारे देश में या फिर कहें कि पूरी दुनिया में लोग अलग-अलग मुद्दों और फायदों को देखते हुए मुहिम चलाते हैं। उन्हें आगे बढ़ाते हैं और निजी स्तर पर प्रसिद्धि कमाते हैं लेकिन इन निजी प्रसिद्धियों के बीच कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपना सर्वस्व समाज और दुनिया की बेहतरी में लगा देते हैं। प्रिंस तिवारी भी एक ऐसे ही शख्सियत का नाम है। वे १४ नवंबर (बाल दिवस) के दिन पूरे भारत में २४,००० किलोमीटर की पदयात्रा पर निकलने वाले हैं। वे अभी महज २३ साल के हैं और १२० दिन की इस पदयात्रा में स्कूलों के लिए फंड जुटाएंगे। ऐसा हम अपने आस-पास हमेशा देखते रहते हैं कि ऐसे किसी भी मामले में कर्ता किसी रिकॉर्ड बुक का हिस्सा होना चाहता है। हालांकि यहां वे ऐसा कुछ भी नही चाहते। प्रिंस साल २०१४ के ग्रेजुएट हैं और २३ साल की उम्र में चार्टर्ड अकाउंटेंट की नौकरी भी छोड़ चुके हैं। इसके अलावा वे एक गैर-सरकारी संगठन भी चला रहे हैं। वे झुग्गी-झोपडियों में रहने वाले २४ बच्चों को कांदिवली के सेमी अंग्रेजी मीडियम में पढ़ा रहे है। अब वे ८६ बच्चों को पढ़ा रहे हैं। वे उनकी स्कूल फीस, स्टेशनरी, किताबें और यूनिफॉर्म समेत एक समय के भोजन का भी खर्चा उठाते है।
प्रिंस आगे कहते हैं कि स्टूडेंट्स जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं फंड नही आ रहा। ऐसे कई संगठन हैं, जो स्वच्छ भारत अभियान की आड़ में इस पूरे इलाके को साफ करना चाहते हैं। ऐसे में सारी झुग्गियां खत्म हो सकती हैं। उनके स्टूडेंट्स हमेशा किन्हीं स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों में फंसे रहते हैं। वे एक ऐसा स्कूल बनाना चाहते हैं, जहां स्टूडेंट्स अपने परिवार के साथ रह सकें। वहीं ऑर्गेनिक फार्मिंग करें और सबके लिए भोजन की व्यवस्था करें। उनके माता-पिता उनकी इस मंशा से अवगत नही हैं मगर वे उम्मीद करते हैं कि हर बार की तरह वे इस बार भी उन्हें नही रोकेंगे। वे अगले साल १४ फरवरी को वापस मुंबई लौटेंगे।
No comments:
Post a Comment