देसूरी। कस्बे के लाम्पी रोड स्थित गोचर भूमि के निकट एक खेत में अज्ञात लोगों ने हरिओम सागर बांध के नहरी पानी को नाली द्वारा देर रात छोड दिया। जिससे आठ बीघा खेत के करीबन तीन बीघा जमीन में पानी फैल गया। इससे पूर्व रविवार शाम सात बजे तक श्रीमती विमला पत्नी मदनलाल प्रजापत ने इस खेत को ग्यारह हजार रुपए के मकोदे पर फसल बोने को लिया था। रविवार को विमला द्वारा खेत में टै्रक्टर से खड़ाई कर महंगे दाम से खरीदे चने के बीज भी बो दिए गए।
मगर अज्ञात लोगों द्वारा रविवार देर रात ही इस खेत में हरिओम सागर बांध के नहरी पानी को गुपचुप छोड़ दिया गया। जिससे करीबन तीन बीघा जमीन में फैले पानी से अब चने की फसल तैयार नहीं होगी। अज्ञात लोगों द्वारा खेत में पानी छोड़े जाने से गरीब विमला की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। विमला ने बताया कि उसने पिछले कई महिनों से पेट काटकर पाई-पाई जुटाकर चने की फसल बोने की तैयारी की थी। मगर अज्ञात लोगों द्वारा उसे 15 से 20 हजार रुपए का नुकसान पहुंचाया गया है।
नहरी पानी की किल्लत, फिर भी बर्बाद किया पानी
सोमवार सवेरे जब विमला खेत पर गई, तब उसने अपने खेत में पानी भरा पाया। जिससे उसके होश उड़ गए। फसल पैदा होने से पहले ही बर्बाद हो गई। जबकि खेतों में नहरी पानी की पाण को लेकर किसान अपनी अपनी बारी का इंतजार करते हैं। फिर किसने इस पानी को बर्बाद किया। स्थानीय कई किसानों का कहना है कि बांध से पानी छोडऩे व प्रत्येक खेत के किसान को पाण देने का जिम्मा बांध के अध्यक्ष का रहता है। फिर विमला के खेत में बांध का पानी कैसे पहुंचा और किसने पहुंचाया। क्योंकि विमला का खेत नहरी खालीए के अंतिम छोर पर मौजूद है। इसके बीच कई किसानों के खेत आते हैं।
मगर अज्ञात लोगों द्वारा रविवार देर रात ही इस खेत में हरिओम सागर बांध के नहरी पानी को गुपचुप छोड़ दिया गया। जिससे करीबन तीन बीघा जमीन में फैले पानी से अब चने की फसल तैयार नहीं होगी। अज्ञात लोगों द्वारा खेत में पानी छोड़े जाने से गरीब विमला की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। विमला ने बताया कि उसने पिछले कई महिनों से पेट काटकर पाई-पाई जुटाकर चने की फसल बोने की तैयारी की थी। मगर अज्ञात लोगों द्वारा उसे 15 से 20 हजार रुपए का नुकसान पहुंचाया गया है।
नहरी पानी की किल्लत, फिर भी बर्बाद किया पानी
सोमवार सवेरे जब विमला खेत पर गई, तब उसने अपने खेत में पानी भरा पाया। जिससे उसके होश उड़ गए। फसल पैदा होने से पहले ही बर्बाद हो गई। जबकि खेतों में नहरी पानी की पाण को लेकर किसान अपनी अपनी बारी का इंतजार करते हैं। फिर किसने इस पानी को बर्बाद किया। स्थानीय कई किसानों का कहना है कि बांध से पानी छोडऩे व प्रत्येक खेत के किसान को पाण देने का जिम्मा बांध के अध्यक्ष का रहता है। फिर विमला के खेत में बांध का पानी कैसे पहुंचा और किसने पहुंचाया। क्योंकि विमला का खेत नहरी खालीए के अंतिम छोर पर मौजूद है। इसके बीच कई किसानों के खेत आते हैं।

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