Monday, 19 December 2016

पंन्यास प्रवरश्री गुणचंद्रसागरजी म.सा. को प.पु. आचार्यश्री चन्द्राननसागर सूरीश्वरजी म.सा. के वरद हस्तों से आचार्य पदवी प्रदान

मुंबई/गोडवाड ज्योती: श्री नाकोड़ा भैरव दर्शन धाम महातीर्थ की पावन धन्य धरा पर जाप-ध्यान निष्ठ, जन-जन की आस्था के केन्द्र, महामांगलिक सम्राट, राष्ट्रसंत प.पु. आचार्यश्री चन्द्राननसागर सूरीश्वरजी म.सा. द्वारा अपने वरद हस्तों से अपने शिष्य प.पु. पंन्यास प्रवरश्री गुणचंद्रसागरजी म.सा. को सागर समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यश्री दौलतसागर सूरीश्वरजी म.सा. की आज्ञा से आचार्य पदवी प्रदान की गई। पूज्य गुरूदेवश्री ने आचार्य पद की सभी क्रियाओं को करवाया एवं नूतन आचार्यश्री को सूरी मंत्र सुनाया। इस मंगलवेला में गुरूदेवश्री ने फरमाया कि आचार्य पद नवकार महामंत्र के तीसरे पद को शोभायमान करता है। आचार्य पद तीर्थंकरो द्वारा प्रदत संयम जीवन का सबसे बड़े वरदान जैसा है, इस पद के साथ ही देव, गुरू और धर्म की प्रभावना बढ़ाने की जिम्मेदारी बढ जाती है। इस पद की गरिमा है कि सरलता, सहजता और विनम्रतापूर्वक धर्मानुरागीयों और संघों के साथ जुड़ाव बढ़ाना और धर्म प्रभावना के सुकृत्यों की प्रेरणा करना। मुनिश्री मननचंद्रसागरजी म.सा. ने साधु से गणिवर्य, पंन्यासप्रवर और उपाध्याय पद के बाद आचार्य पद तक के जीवन का महत्व बताया। इस शुभ प्रसंग पर भारतभर से अनेंको गच्छाधिपति एवं आचार्य भगवंतों के मंगलकामना संदेश आए तथा गुरूदेवश्री एवं अन्य सभी साधु-साध्वीजी भगवंतो ने उनके आचार्य पद की मंगलकामना की। इस पावन मंगलमय वेला में मुनिश्री हरिशचंद्रसागरजी म.सा., मुनिश्री पुष्पचंद्रसागरजी म.सा., मुनिश्री जैनेशचंद्रसागरजी म.सा., मुनिश्री मननचंद्रसागरजी म.सा. एवं विदुषी साध्वीश्री कल्पिताश्रीजी म.सा., साध्वीश्री चारूताश्रीजी म.सा., साध्वीश्री आशिताश्रीजी म.सा., साध्वीश्री रिशिताश्रीजी म.सा. का पावन सान्निध्य रहा। इस पावन वेला में नाकोड़ा भैरव दर्शन धाम महातीर्थ के अध्यक्ष कांतीलाल शाह, महामंत्री दिनेश ज्योतीचंदजी तेलीसरा, सुरेश जैन, ललित जगावत आदि ट्रस्ट मंडल सहित भारत भर से पधारे सभी संघों के पदाधिकारियों एवं गुरूभक्तों की गरिमामय उपस्थिति रही। संगीतकार निखिल सौनीगरा ने भक्ति गीतों से कार्यक्रम की शोभा बढाई। यह जानकारी मिडिया प्रभारी अशोक ताराचंद बडाला ने दी।

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