Sunday, 4 December 2016

नोटबंदी पर डाक विभाग की अनूठी पहल, अस्पताल पहुँचकर बदले पुराने नोट

जोधपुर/गोडवाड ज्योती: नोटबंदी के बाद सरकारी व निजी अस्पतालों में उपचार के लिए पहुंच रहे मरीजों परिजनों को नोट बदलने के लिए मजबूरी में 5 से 6 घंटों तक लाइनों में खड़ा रहना पड़ रहा है। बावजूद इसके एक बार में मात्र 2 हजार रुपए ही बदले जा रहे है। ऐसे में जिन मरीजों के ऑपरेशन है या गंभीर बीमारी से ग्रसित है, उन्हें प्रतिदिन एक से डेढ़ हजार का खर्च उठाना पड़ रहा है। अस्पताल में भर्ती अपनों के उपचार करवाने के लिए परिजनों को नोटबंदी के कारण परेशान होना पड़ रहा है। नोटबंदी के बाद मरीजों और उनके परिजनों को हो रही परेशानियों को दूर करने के लिए जोधपुर में डाक विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ने अस्पतालों में पहुँचकर मरीजों के 500 और 1,000 रूपये के पुराने नोट बदले। राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने वार्ड में भर्ती मरीजों को अपने हाथों से 100-100 रुपए के नोट देकर इसकी शुरुआत की। मरीजों को जब पुराने नोटों की जगह नई नोटें मिलीं तो उनके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई और परिजनों ने राहत की साँस ली। उन्होंने इसे डाक विभाग द्वारा आरम्भ की कई एक अनूठी और परोपकारी पहल बताया।
निदेशक श्री यादव ने कहा कि डाक विभाग लोगों के सुख-दुःख में बराबर भागीदार है और ऐसे में जो लोग अपने पुराने नोट बदलने के लिए डाकघर या बैंक तक जाने की स्थिति में नही हैं, अस्पतालों में उन्हें उनकी जरूरतों के मुताबिक खुले नोट देने के लिए यह पहल की गई है। इससे मरीजों और उनके परिजनों को काफी सहूलियत होगी। अस्पताल में भर्ती 300 से ज्यादा मरीजों के नोट बदले। इसके अलावा और भी कई शहरों व क्षेत्रो में डाक विभाग द्वारा पुराने नोट बदलवाए गए, जिससे मरीज व उनके परिजन काफी खुश नजर आए।



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