Saturday, 3 December 2016

नोटबंदी पर एक्सपर्ट्स की राय

500-1000 के नोट बंद होने का काफी असर हुआ है। लोग बैंकों में पैसे जमा करा रहे हैं। इससे नकदी बढ़ेगी, कर्ज सस्ता होगा, महंगाई दर में भी कमी आएगी, यानी मकान सस्ते हो सकेंगे। इसके अलावा शादियों, चुनाव प्रचार में पानी की तरह पैसा बहाने की परंपरा खत्म हो सकती है। कैशलेस ट्रांजेक्शन का चलन बढ़ने से कैश में मोटी फीस वसूलने वाले डॉक्टर्स की मनमानी रुक सकेगी। एनजीओ ब्लैक मनी को व्हाइट बनाने का बड़ा जरिया है। ये सरकार के राडार पर होंगे। पर बेनामी खातों के पैसे वापस आने की उम्मीद कम है। नोट बंदी होते ही काले धन के रूप में जमा सारा कैश फ्रीज हो गया। व्हाइट मनी का कैश फ्लो भी बेहद सीमित है। देशभर में इसके कई पॉजिटिव-नेगेटिव असर होंगे। खर्चीली शादियां और चुनावों में अनाप-शनाप पैसे खर्च करने का चलन थम सकता है। ब्लैकमनी के दूसरे रास्ते भी निकलेंगे। अनुमान है कि डोनेशन के नाम पर कॉलेजों की सीटें भी गोल्ड में बिकेंगी। पढ़िए इन्हीं सवालों के जवाब एक्सपर्ट्स से...

1. शादी-ब्याह: शादियों की रौनक कम हो जाएगी, कहना गलत होगा। हां, करोड़ों रुपए खर्च कर होने वाली दिखावे वाली शादियों की तादाद कम हो जाएगी| अभी इस सीजन में तो इसका बुरा असर सीधा देखा जा सकता है। बच्चों की शादियां माता-पिता का सपना होता है। वे बचत करके रखते हैं,

लोन भी लेते हैं और जरूरत पड़ने पर प्रॉपर्टी बेचते हैं या गिरवी रखकर पैसों का इंतजाम करते हैं।

2. दान-धर्म: दान या धार्मिक कामों पर खर्च के लिए लोग कई बार ब्लैकमनी का भी इस्तेमाल करते हैं। अब अगर कोई भी व्यक्ति धार्मिक कामों पर बड़ी रकम खर्च करता है या किसी संस्था में दान करता है तो उसे इसका पूरा हिसाब-किताब देना पड़ेगा। ऐसे में दान-धर्म पर होने वाले खर्चों में कमी तो जरूर आएगी लेकिन हो सकता है कि सरकार बजट में धर्मार्थ या समाज के कल्याण के लिए खर्च होने वाले पैसों पर टैक्स छूट बढ़ा दे। जीडीपी में रियल्टी सेक्टर का शेयर 11% है। प्रॉपर्टी सौदों में टैक्स बचाने के लिए बड़ा लेन-देन नकद में होता है। एक-तिहाई काला धन सिर्फ प्रॉपर्टी बाजार में है। नोटबंदी से यह मार्केट 20% से 30% नीचे जाएगा। 6 माह में कैश फ्लो बढ़ने के बाद सुधार की गुंजाइश है।

Q: रियल एस्टेट पर क्या असर होगा?
A: सबसे ज्यादा नेगेटिव असर पड़ेगा। ब्लैकमनी के जरिए इन्वेस्टमेंट के मकसद से 40% महंगे मकानों की बिक्री होती है, अब यह थमेगी तो बिल्डरों को घाटा होगा। बड़े खरीददार दूर होने से मकानों की कीमतें गिरेंगी। यही वजह है कि दो दिन में इस सेक्टर के शेयर 20% तक टूट चुके हैं।

Q: तो क्या मकान सस्ते होंगे?
A.बिल्कुल। करीब 20 से 30% तक। कालाधन खपाने वाले इस सेक्टर से दूर होंगे। ट्रांजैक्शन में कैश मनी कम होने से मार्केट में असली खरीददार आएंगे। फ्लैट लोकेशन में फर्क आएगा। अभी बिल्डर्स कीमत लोकेशन के हिसाब से तय करते थे लेकिन अब ऐसा नही रहा। आने वाले वक्त में बिल्डर्स की तरफ से भी डिस्काउंट बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है।

Q: क्या बाजार कीमत पर रजिस्ट्री होने लगेगी?A. जी हां। ब्लैकमनी कम होने से स्टाम्प ड्यूटी की चोरी रुकेगी। अभी ज्यादातर लोग बिल्डर्स के साथ मिलकर 30 लाख के मकान को 20 लाख का बताकर रजिस्ट्री कराते हैं और बाकी के 10 लाख रुपए कैश में दे देते हैं।

Q: जिन्होंने ब्लैक में पैसा देकर कम पैसों की रजिस्ट्री कराई थी, अब मकान बेचना चाहें तो क्या होगा?
A.जितने पैसे में रजिस्ट्री कराई थी, मकान उसी हिसाब से बिकेगा। कहने का मतलब ये है कि जिन्होंने ब्लैक में ज्यादा कैश देकर कम पैसों में रजिस्ट्री कराई थी और ये सोचा था कि बेचकर कमा लेंगे, उन्हें घाटा होगा। वो सारा पैसा कैपिटल गेन में आ जाएगा। ब्लैक में दिए पैसे नहीं मिलेंगे।

Q: क्या होम लोन के इंटरेस्ट रेट कम होंगे?
A. मुमकिन है। रियल एस्टेट सेक्टर को संभालने के लिए ये कदम उठाए जा सकते हैं। बैंक होम लोन को साढ़े आठ फीसदी तक कर सकते हैं। सरकार भी इस दिशा में कुछ कदम उठा सकती है। डाउन पेमेंट की सीमा को 10-15% से और कम किया जा सकता है।

Q: कितना काला धन है प्रॉपर्टी में और क्यों है?
A. भारत में एक-तिहाई काले धन का इस्तेमाल रियल एस्टेट सेक्टर में होता है। इसकी जीडीपी में करीब 11% हिस्सेदारी है। लोग अपनी अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा प्रॉपर्टी खरीदने में लगाते हैं। इसके अलावा, उसे आसानी से छिपाया भी जा सकता है। टैक्स और स्टाम्प ड्यूटी में भी काफी बचत होती है।

ज्वैलरी इंडस्ट्री
नोटबंदी ने छोटे ज्वेलर्स की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वेडिंग सीजन में इन्होंने कई रेग्युलर कस्टमर्स को उधार में गहने दिए थे। अब यह कस्टमर 1000 और 500 के पुराने नोट में पेमेंट करने पहुंच रहे हैं। मना करो तो पेमेंट के लिए लंबी मोहलत मांगते हैं। यहां तक कि एक लाख के बकाया भुगतान के बदले इन्हें पांच-पांच हजार रुपए दिए जा रहे हैं। ऐसे में कई ज्वेलर्स ने दुकानें भी बंद कर दी है। मौजूदा हालात में कम से कम छह महीने काम करना मुश्किल होगा। कई छोटे ज्वेलर्स तो बड़े ज्वेलर्स के पास बतौर कारीगर काम को तैयार हैं।

Q: बड़े नोट बंद होने से क्या छोटे ज्वेलर्स के पास नकदी की कमी होगी?
A: छोटे ज्वेलर्स का पैसा बड़े ज्वैलर्स और रेग्युलर कस्टमर्स के पास फंस गया है। ये कम पूंजी में काम करते हैं।

Q: क्या इनका कारोबार पटरी पर आएगा या कुछ माह तक चौपट रहेगा?
A: हां, मौजूदा माहौल में छोटे ज्वेलर के लिए अब काम करना आसान नही है। कई छोटे ज्वेलर्स ने बड़े ज्वेलर्स के लिए बतौर कारीगर काम करने की पेशकश की है। कारोबार को पटरी पर आने में कम से कम 6 माह तो लग ही सकते हैं।

Q: क्या बड़े ज्वेलर्स छोटे ज्वेलर्स को काम देंगे?
A: नही, क्योंकि ज्वेलर्स का कारोबार भी अभी काफी कमजोर है। पुराना स्टॉक क्लियर होने में वक्त लगेगा, तब तक छोटे ज्वेलर्स को काम मिलना मुश्किल रहेगा।

Q: क्या छोटे ज्वेलर का फंसा पैसा वसूल हो पाएगा?

A: बड़े नोट बंद होने से पहले जो लोग गहने खरीद चुके थे, वे अब या तो 1000 या 500 के पुराने नोटों में ही भुगतान करने पर अड़े हैं या फिर भुगतान के लिए कम से कम छह माह का वक्त मांग रहे हैं। ऐसे में कुछ पैसा या तो डूबेगा और कुछ मिल सकता है।



No comments:

Post a Comment